कृषि/विज्ञान/टेक्नोलॉजीछत्तीसगढ़

चना फसल में उकठा रोग से बचाव हेतु कृषि सलाह“

कवर्ध। मौसम में बदलाव और बार-बार खेत में एक ही फसल लगाने पर चने की फसल में उकठा रोग लगने की संभावना बढ़ जाती है, ऐसे में किसान सही प्रबंधन अपनाकर इससे छुटकारा पा सकते हैं। कृषि विभाग के उपसंचालक  राकेश शर्मा ने बताया कि चने की फसल में उकठा रोग फ्यूजेरियम ऑक्सीस्पोरम नामक फफूंद के कारण होता है। यह सामान्यतः मृदा तथा बीज जनित बीमारी है, जिसकी वजह से 10 से 12 प्रतिशत तक पैदावार में कमी आती है। उन्होंने बताया कि इस रोग का प्रभाव खेत में छोटे-छोटे टुकड़ों में दिखाई देता है। प्रारंभ में पौधे की ऊपरी पत्तियां मुरझा जाती है, धीरे-धीरे पूरा पौधा सूखकर मर जाता है। जड़ के पास तने को चीरकर देखने पर वाहक ऊतकों में कवक जाल धागेनुमा काले रंग की संरचना के रूप में दिखाई देता है। कृषि विभाग द्वारा चना फसल में लगने वाले उकठा रोग के रोकथाम के लिए जिले के किसानों के लिए कृषि सलाज जारी किया है।
कृषि विभाग के उपसंचालक  राकेश शर्मा ने बताया कि चना के बुवाई उचित समय यानि 15 अक्टूबर से 15 नवंबर तक करना चाहिए। गर्मियों में मई से जून में गहरी जुताई करने से फ्यूजेरियम फफूंद का संवर्धन कम हो जाता है। मृदा सौर उपचार करने से भी रोग में कमी आती है। पांच टन प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में कंपोस्ट खाद का प्रयोग करना चाहिए। बीज को मिट्टी में 8 से.मी. की गहराई में बुवाई करना चाहिए। उकठा रोग का प्रकोप कम करने के लिए तीन साल का फसल चक्र अपनाया जाना चाहिए। सरसों या अलसी के साथ चना फसल की अंतरवर्ती फसल लगाना चाहिए।
उन्होंने बताया कि इसके नियंत्रण के लिए ट्राइकोडर्मा पाउडर 10 ग्राम प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से बीजोपचार करें। साथ ही 4 कि.ग्रा. ट्राइकोडर्मा को 100 कि.ग्रा. सड़ी हुई गोबर की खाद में मिलाकर बुवाई से पहले प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में मिलाए। खड़ी फसल से रोक के लक्षण दिखाई देने पर कार्बेन्डाजिम 50 डब्ल्यू.पी. 0.2 प्रतिशत घोल का पौधों के क्षेत्र में छिड़काव करें।

इन रासायनिक दवाओं का करे छिड़काव

कृषि विभाग के उपसंचालक श्री शर्मा ने बताया कि चना फसल में उकठा रोग के नियंत्रण के लिए टेबूकोनाजोल 54 प्रतिशत डब्ल्यू/डब्ल्यू.एफ.एस. / 4.0 मि.ली., 10 कि.ग्रा. बीज के हिसाब से बीजोपचार करें। खड़ी फसल पर लक्षण दिखाई देने पर क्लोरोथालोनिल 70 प्रतिशत डब्ल्यू.पी./300 ग्राम एकड़ या कार्बेन्डाजिम 10 प्रतिशत$मैन्कोजेब 63 प्रतिशत डब्ल्यू.पी. 500 ग्राम प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

चना फसल की उकठा रोग प्रतिरोधी किस्में

उन्होंने बताया कि जी.जी.-1, जे.ए.के.आई.-9218 (जाकी), जे.जी.-16, वैभव, जे.जी.-130, जे.जी-1, जे.जी.-14, इंदिरा चना, जे.एस.सी.-55, 56, बी.जी.डी.-128 (पूसा शुभ्रा), आई.पी.सी.के.-2002-29, 2004-29, 2066-77, छ.ग. चना-02, छ.ग.लोचन चना एवं छ.ग.अक्षय चना की प्रतिरोधी किस्म लगाना चाहिए। इन किस्मों में उकठा रोग से लड़ने की अधिक क्षमता होती है। कृषकों को सलाह दी जाती है कि रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली किस्मों का चयन कर बीजोपचार तथा अन्य शस्य कृषि क्रियाएं करते हुए चना फसल की बुआई करें।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
×

Powered by WhatsApp Chat

×