बैगा नृत्य, फाग गीत, छत्तीसगढ़ी लोककला के साथ स्कूली बच्चों ने दी मनमोहक प्रस्तुति
कवर्धा। सतपुड़ा पर्वत की मैकल पहाड़ी श्रृखलाओं से घिरे सुरम्यवादियों में स्थिति ऐतिहासिक भोरमदेव मंदिर के प्रांगण में वर्षों से आयोजित हो रहे भोरमदेव महोत्सव की परंपरा को कायम रखने दो दिवसीय भोरमदेव महोत्सव के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का दीप प्रज्जवलित कर मंत्रोचार के साथ भगवान भोरमदेव की पूजा अर्चना कर विधिवत शुभारंभ हुआ। कलेक्टर जनमेजय महोबे सहित अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विकास कुमार, जिला पंचायत सीईओ संदीप अग्रवाल, अपर कलेक्टर अविनाश भोई एवं अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने दीप प्रज्जवित कर दो दिवसीय भोरमदेव महोत्सव का विधिवत शुभारंभ किया। शुभांरभ अवसर पर अधिकारियों के पूरे परिवार और दूर दराज से आए ग्रामीणजन उपस्थित थे।
महोत्सव के पहले दिन प्रातः काल बाबा भोरमदेव का महाभिषेक, एक हजार नामों से सहर्षाचन, रूद्राभिषेक, विशेष श्रृंगार आरती किया गया। भोरमदेव महोत्सव के पहले दिन बैगा नृत्य, फाग गीत, छत्तीसगढ़ी लोककला के साथ स्कूली बच्चों ने छत्तीसगढ़ की लोक-पारंम्परिक लोकगीत गाने के साथ कबीरधाम जिले में आयोजित भोरमदेव महोत्सव वर्ष 2024 के सांस्कृतिक कार्यक्रमो का शुभारंभ हुआ। छत्तीसगढ़ कबीरधाम की ऐतिहासिक, पुरात्तविक, धार्मिक, पर्यटन और जन आस्था का केन्द्र के नाम से प्रत्येक वर्ष यह आयोजन होते आ रहा है। यह 28 वां भोरमदेव महोत्सव है।
महोत्सव के दौरान भोरमदेव महोत्सव की आरंभ से लेकर वर्तमान दौर तक पूरी विस्तार से जानकारी दी। भोरमदेव मंदिर छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक, पुरातात्विक, पर्यटन और जन आस्था के रूप में ऐतिहासिक महत्व का स्थल है। इस मंदिर की ख्याति देश के अलग-अलग राज्यों तक फैली हुई है। यहां साल भर विदेशी, देशी तथा घरेलु पर्यटकों तथा श्रद्धालुओं के रूप में आना होता है। बाबा भोरमदेव मंदिर में प्रत्येक वर्ष होली के बाद कृष्णपक्ष के तेरस और चौदस को महोत्सव मानाने की यहां परम्परा रही है। साथ में सावन मास में मंदिर में विशेष पूजा अर्चना भी की जाती है। यहां सावन माह में मेले का आयोजन भी होता है। जिसमें देशी तथा घरेलु पर्यटकों तथा श्रद्धालुओं के रूप में शामिल होते है। इस दौरान ऐतिहासिक महत्व स्थल भोरमदेव मंदिर की भव्यता और उसके महत्व को बनाए रखने के लिए किए जा रहे प्रयासों की पूरी जानकारी भी दी।
भोरमदेव महोत्सव में बैगा नृत्य, फाग गीत, छत्तीसगढ़ी लोक संगीत, सरगम ग्रुप के साथ स्कूली बच्चों ने दी मनमोहक प्रस्तुति
जिला प्रशासन द्वारा आयोजित दो दिवसीय भोरमदेव महोत्सव के शुभारंभ अवसर पर शनिवार की रात जिले के कलाकारों और स्कूली बच्चों द्वारा रंग-बिरंगे पोशक में जहां छत्तीसगढ़ की लोक कलाओं, लोक संस्कृति पर आधारित गीत एवं नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी। भोरमदेव महोत्सव के पहले दिन कबीरधाम जिले के विशेष पिछड़ी जनजाति के बैगा नृत्य के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का शुभारंभ हुआ। इसके बाद जिले के स्कूली बच्चों ने सामुहिक नृत्य के साथ अपनी प्रस्तुति दी। बोड़ला के रजउ साहू छत्तीसगढ़ की लोकगीत एवं नृत्य की प्रस्तुति दी। प्रभुराम धुर्वे की टीम ने फाग गीत की प्रस्तुति दी। इसके बाद सरगम ग्रुप ने दर्शकों को आनंदित किया। छत्तीसढ़ी लोकगीतों के गायन की प्रस्तुति देते हुए गुरूदास मानिकपुरी ने अपने चीर परचीत अंदाज में छत्तीसगढ़ की संस्कृति सहित सुपर डुपर गानों की शानदार प्रस्तुति देकर महोत्सव का मान बढ़ाया।
भोरमदेव महोत्सव के दूसरे दिन का कार्यक्रम
भोरमदेव महोत्सव के दूसरे दिन बैगा नृत्य के साथ सांस्कृतिक कार्याक्रमों का शुभारंभ होगा। इसके बाद स्कूली बच्चों द्वारा रंगारंग प्रस्तुति दी जाएगी। कुमार पंडित द्वारा तबला जुगलबंदी की प्रस्तुति देते हुए कार्यक्रम को आगे बढाएंगे। इसके बाद सारेगामापा विजेता सिंगर सुश्री इशिता विश्वकर्मा एवं उनकी पूरी टीम की सुपर-हिट गीत संगीत से महोत्सव का मंच सजेगा। छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध कलाकार नितिन दुबे द्वारा छत्तीसगढ़ की संस्कृति सहित सुपर डुपर गानों की शानदार प्रस्तुति देंगे।
प्रत्येक वर्ष तेरस और चौदस की तिथि बाबा भोरमदेव के लिए विशेष महत्व
भोरमदेव मंदिर के पुजारी ने बताया कि भोरमेदव मंदिर में प्रत्येक वर्ष होली के बाद तेरस और चौदस को बाबा भोरमदेव शिव जी के लिए विशेष दिन रहता है। प्राचीन काल से तेरस के दिन मंदिर में विशेष अनुष्ठान और दिव्य श्रृंगार सहित अनेक धार्मिक अनुष्ठान किया गया। यहां प्राचीन काल से मंदिर के समीप स्थानीय मेला का आयोजन भी होते आया है, जो समय के साथ-साथ स्थानीय मेला अब महोत्सव का स्वरूप ले लिया है। उन्होंने बताया कि इन दो दिनो में मंदिर में बाबा भोरमदेव शिव जी का विशेष अनुष्ठान और दिव्य श्रृंगार सहित अनेक धार्मिक अनुष्ठान किया जाता है। आज प्रात काल बाबा भोरमदेव का महाभिषेक, एक हजार नामों से सहर्षाचन, रूद्राभिषेक, विशेष श्रृंगार आरती किया गया। दूसरे पहर शायम काल में सहत्रधारा से महाभिषेक, श्रृंगार महाआरती-भस्म आरती, शिव सरोवर के सामने भगवान वरूण देव का पूजन, दीपदान गंगाआरती की गई।