कवर्धा

प्राचीन भोरमदेव मंदिर में चला छीनी हथौड़ी!

कवर्धा। छत्तीसगढ के प्रसिद्ध व प्राचिनतम मंदिरों में एक भोरमदेव मंदिर जो छत्तीसगढ़ के खुजराहो के नाम से प्रसिद्ध हैं। भोरमदेव मंदिर में छीनी हथौड़ा चला है। यह सब ठेकेदार से चला है। जबकि पुरातत्व विभाग का साफ तौर पर निर्देश है कि प्राचीनतम धरोहरों में छीनी हथौड़ी का इस्तेमाल नहीं किया जाना चहिये। ऐसे में ऐतिहासिक या प्राचीन मंदिर में ठेकेदार की लापरवाही पर बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है। क्योंकि यह सिर्फ प्राचीन मंदिर नहीं बल्कि लोगों का आस्था का केंद्र भी है।

दरअसल, सावन सोमवार की शुरुआत होने वाली है। उससे पहले साफ सफाई के साथ और मंदिर के उपरी हिस्से में मरम्मत का काम चल रहा था। लेकिन जो मजदूर इस कार्य में लगे हुए थे। वे छीनी हथौड़ी का इस्तेमाल कर रहे थे। इस दौरान निरीक्षण के लिए पहुंचे। तब यह पूरा मामला प्रकाश में आया। इस बीच पत्रकारों ने मौके पर मौजूद सुपरवाइजर से सवाल जवाब किया तो वह गोलमोल जवाब देने लगा।

भोरमदेव मंदिर छत्तीसगढ के प्राचीनतम मंदिरों में से एक है। यही नहीं बल्कि इस मंदिर की देख-रेख का जिम्मा केंद्रीय पुरातत्त्व विभाग करता है, लेकिन बिना इंजिनियर की देखरेख छीनी हथौड़ी का इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसे में पुरातत्वविद आदित्य श्रीवास्तव ने इसे उचित नहीं बताया है। उन्होंने कहा कि अलग से इंस्ट्रूमेंट का उपयोग किया जाता है। अगर इंजिनियर की मौजूदगी में यह कार्य हो तो वह बताएंगे कि किस तरह से इस कार्य को किया जाना है, लेकिन सिर्फ मजदूर के भरोसे यह छोड़ा जा रहा है। यह उचित नहीं है। एक इंजिनियर की मौजूदगी होनी चाहिए।

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